You are currently viewing Akhil Bhartiya Adivasi Kashyap Kahar Nishad Bhoi Samanvay Samiti National Co-ordinator Raja Ram Kashyap Gives Memorandum to Cabinet Minister Sadhvi Niranjna Jyoti

Akhil Bhartiya Adivasi Kashyap Kahar Nishad Bhoi Samanvay Samiti National Co-ordinator Raja Ram Kashyap Gives Memorandum to Cabinet Minister Sadhvi Niranjna Jyoti

अखिल भारतीय आदिवासी, कश्यप, कहार, निषाद, भोई समन्वय समिती के राष्ट्रीय संयोजक राजा राम कश्यप ने केंद्रीय मंत्री साध्वी निरंजना ज्योति को दिया समाज का मांग पत्र

केंद्रीय मंत्री साध्वी निरंजना ज्योति को स्मृति चिन्ह भेंट करते हुए सांसद अजय निषाद और नीरज कश्यप

मुजफ्फरपुर, 16-9-2023 (गुरिन्द्र कश्यप) – अखिल भारतीय आदिवासी, कश्यप, कहार, निषाद, भोई समन्वय समिती का 15वां राष्ट्रीय अधिवेशन दिनांक 16 व 17 सितम्बर 2023 को कैप्टन निषाद सभागार, कच्ची-पक्की, मुजफ्फरपुर बिहार में आयोजित किया गया, जिसमें कश्यप, कहार, भोई, निषाद, केवट, मांझी, चंद्रवंशी, कोली, झालो-मालो, बेहरा, बेस्ता, गंगापुत्र, मेहरा, आराया, धीवर, मल्लाह, तिरदेश, मछुआरे आदि परंपरागत जल पोषित समाज की देशभर की समस्याओं के निराकरण के लिए मंथन किया गया और निष्कर्ष से देश के विभिन्न संस्थानों, राजनायिकों और समस्त जल पोषित समाज को अवगत कराया गया। समिती की ओर से युवा मोर्चा के अध्यक्ष नीरज कश्यप ने मंच संचालन किया और केंद्रीय मंत्री साध्वी निरंजना ज्योति को एक स्मृति चिन्ह भेंट किया।
अधिवेशन में 29 राज्यों और 5 केन्द्र शासित प्रदेशों के कुल 300 से अधिक लोगों ने भाग लिया, जिसमें सभी दलों के सांसदों, विधायक, एम.एल.सी., बोर्ड अध्यक्ष और विभिन्न राज्यों के पारंपरिक आदिवासी मछुआरे, नाविक, जल और पालकी वाहक प्रदेश समितियों (तटीय और अंतर्देशीय दोनों) के प्रांत अध्यक्ष, सचिवों और कोषाध्यकों ने भाग लिया। इस अधिवेशन में कुल पांच एजेंडा मद्दों पर प्रमुखा की गई। समिती के राष्ट्रीय संयोजक श्री राजा राम कश्यप और मुजफ्फरपुर के सांसद माननीय अजय निषाद ने केंद्रीय मंत्री साध्वी निरंजना ज्योति को समाज की ओर से एक मांग पत्र दिया जिसका संक्षेप में विवरण इस प्रकार है –
एजेंडा आइटम 1 – राजनीतिक दलों से उनके राजनीतिक दल में काम करने वाले हमारे समाज के लोगों को आगामी चुनावों में टिकट प्रदान करने की मांग (एक सही दावा)। अगर वे ऐसा करते हैं तो हमारा पूरा समुदाय उनकी जीत के लिए काम करेगा और समर्थन करेगा।
अखिल भारतीय आदिवासी, कश्यप, कहार, निषाद, भोई समन्वय समिती ने परंपरागत जलपोषित समुदाय के सभी पर्यायवाची और उपजातियों को आगमी चुनाव में विभिन्न राजनीतिक दलों में काम कर रहे हमारे समाज के सदस्योंको संभावित उम्मीदवार के रूप में चुनावी टिकट प्रदान करने के लिए सभी राजनीतिक दलों के समक्ष एक सही दावा प्रस्तावित किया जा रहा है। जिन राज्यों में वर्ष 2023में चुनाव होने जा रहे हैं वहां ग्रामीण पंचायत स्तर से लेकर विधानसभा और लोकसभा तक प्रत्येक स्तर के लिए तत्काल गंभीर प्रयास शुरु किया जाए, जिससे राजनीतिक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित हो सके। हमारा समाज दीर्घकाल से अत्यंत ही पिछड़ा, अशिक्षित, अभावग्रस्त एवं दयनीय रहा है और इसी के परिणाम स्वरूप हमारी राजनीतिक भागीदारी नहीं हो सकी है। किन्तु अब हमारे समाज के उन क्षेत्रों में जहां लोग सक्षम, योज्य, अनुभवी व कुशल हैं एवं अपने क्षेत्र में चुनाव में जीत दर्ज करने का पर्याप्त दम-खम रखते हैं, यदि उन्हें किसी प्रमुख राजनीतिक पार्टी से टिकट मिलती है या आर्थिक रूप से सक्षम न होने लेकिन योज्यटता के मापन में खरा होने की दशा में मनोनीत कर सदन में प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जाता है तो ऐसी स्थिती में उन्हें अपने क्षेत्र से राजनीतिक प्रतिनिधित्व करने का मौका मिलेगा, साथ ही समाज के उन क्षेत्रों में निवासतर समाज के लोगों का भी तन-मन-धन से भरपूर सहोयग प्राप्त होगा।
अत: हमारे समाज की पुरजोर मांग है कि समाज के योज्य, कर्मठ, अनुभवी लोगों को अपने-अपने क्षेत्रों में टिकट प्रदान करें व ऐसे क्षेत्र जहां हमारे लोग चुनाव नहीं लड़ सकते एवं साधन संपन्न नहीं है का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित कराने के लिए सरकारें – लोकसभा, विधानसभा, विधान परिषद, विभिन्न कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष आदि के रूप में नामित करें एवं उन्हें राज्य मंत्री अथवा कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्रदान किया जाना चाहिए, जिससे कि उचित प्रतिनिधित्व प्राप्त कर वे समाज के विकास हेतु कार्य कर सकें।
एजेंडा – आइटम 2 – हमारे समाज के लिए अनुच्छेद 341 और 342 के तहत अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति की आरक्षण सुविधा
संविधान के अनुच्छेद 341/342 के अंतर्गत आरक्षण प्रदान करने संबंधी है। विभिन्न राज्यों में निवासरत रहने वाले हमारे समाज के लोग डोली उठाने, पानी भरने, मछली मारना, नाव चलाने, वनोपज एकत्र करवाने व जल से संबंधित अन्य कार्य करते आ रहे हैं और आदिकाल से इनका परंपरागत कार्य रहा है तथा जंगलों में और नदी-नालों-तालाबों के सहारे जीवन यापन करते रहे और अपनी जनजातीय जीवनशैली और संस्कृति सहेजे हुए व क्षेत्र के अनुसार विभिन्न नामों से जाने जाने लगे। अधिकांश जगहों पर आज तक छुआछूत भी माना जाता है। इस कार्य को करने के कारण कालांतर में इन्हीं पेशागत समानता को आधार बनाकर मंडल कमीशन द्वारा जल्दबाजी में इन्हें भी अन्य पेशेवर जातियों की तरह समान लिया गया और अन्य पिछड़ा वर्ग में जल्दबाजी में बिना किसी समुचित पड़ताल के रख दिया था। इसी विसंगति को दूर करने और जनजातीय जीवनशैली और संस्कृति व परंपरागत कार्य को आधार मानकर मंडल कमीशन ने भी इन्हें अनुसूचित जाति या अनुसूचित जाति में रखने की सिफारिश दी थी ताकि अपने समकक्ष अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति की तरह विकास कर सके। अन्य पिछड़ा वर्ग में कैफियत के भ्रम की वजह से कई राज्यों में त्रुटिवश जुड़ जाने से हमारा यह समाज और अधिक पिछड़ गया है। साथ ही इन जातियों को जो 1950 की स्थिती तक का आदिवासी दर्जा प्राप्त था, वह भी राजनैतिक नेतृत्व के अभाव में अपने उचित अधिकार को प्राप्त न कर सका है। अत: अनुच्छेद 341 एव 342 के तहत अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के रूप में आरक्षण के संबंध में पूर्व में अखिल भारतीय आदिवासी, कश्यप, कहार, निषाद, भोई समन्वय समिती के प्रतिनिधी मंडल द्वारा भारत के माननीय राष्ट्रपति के साथ किए गए अनुरोध की पूर्ति की विनम्रतापूर्वक अपेक्षा करती है। इस अविकसित और न्यूनतम राजनैतिक प्रतिनिधित्व वाली जातियों का अनुसूचि जाति/अनुसूचित जनजाति के तहत उचित दर्जा प्रदान कर इन्हें आरक्षण की सुविधा प्रदान की जानी चाहिए।
एजेंडा – आइटम 3 राष्ट्रीय जनसंख्या जनगणना 2021 समुदाय पर आधारित होनी चाहिए
अखिल भारतीय आदिवासी, कश्यप, कहार, निषाद, भोई समन्वय समिती भारत के वंचित समुदायों हेतु बेहतर योजना और उचित प्रतिनिधित्व प्रदान करने के लिए जाति आधारित राष्ट्रीय जनगणना – 2021 की आवश्यकता पर जोर दे रही है। समुदाय आधारित जनगणना 2021 की आवश्यकता की मांग करते हुए एक प्रस्ताव भारत के माननीय राष्ट्रपति, माननीय प्रधानमंत्री, माननीय गृहमंत्री और सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को भेजा गया है जिसकी पूर्ति की भी समिती प्रतीक्षारत है और इस कड़ी में देशभर के जलपोषित समुदायों के एकीकरण को और आगे बढ़ाते हुए पूर्वोत्तर के राज्यों में भी इसके विस्तार को और प्रभावी बनाने का प्रस्ताव है। देशभर के समाजिक गोत्रों का संकलन का विस्तृत कार्य प्रस्तावित है। इस बात हेतु विशेष बल दिया जाएगा कि यदि कोई उचित आंकड़े ही नहीं होंगे तो इस निर्णय को लेने में कठिनाई आना निश्चित है। अत: जातिय समुदाय राष्ट्रीय जनगणना-2021 के द्वारा प्राप्त आंकड़े आज देशहित में विकास की योजनाओं को बनाने व समाजिक उत्थान की महती आवश्यकता है।
एजेंडा – आइटम 4 – हमारे समुदाय के व्यवस्थित विकास के लिए आयोग का गठन सरकार द्वारा किया जाना चाहिए
1 – अखिल भारतीय कश्यप कल्याण आयोग – समिती भारतवर्ष के पारंपरिक नाविक, मछुआरे, पानी और पालनी वाहक समुदायों (दोनों – अंतर्देशीय और तटीय) के समाजिक उत्थान और राजनैतिक प्रतिनिधित्व के लिए अखिल भारतय कश्यप कल्याण आयोग की स्थापनी की मांग करती है जो कि 21 सदस्यीय प्रस्तावित होगी।
2 – राष्ट्रीय पारंपरिक मछुआरा विकास आयोग (NTFDA)- यह भी कि संपूर्ण भारतवर्ष में पारंपरिक नाविक, मछुआरे, पानी और पालकी वाहक (अंतर्देशीय और तटीय) समुदायों के शैक्षणिक उत्थान और आर्थिक विकास के लिए एक 11 सदस्यीय पृथक राष्ट्रीय पारंपरिक मछुआरा विकास आयोग (National Traditional Fisherman Development Aayog, NTFDA) का गठन भी किया जाना चाहिए।
एजेंडा – आइटम 5 – एन.डी.आर.एफ/एस.डी.आर.एफ की तर्ज पर मांझी डिकाासटर रिलीफ फोर्स, एम.डी.आर.एफ और त्रिदेश डिकाासटर रिलीफ फोर्स का गठन
पारंपरिक नाविक, मछुआरे, पानी और पालनी वाहक समुदायों (दोनों – अंतर्देशीय और तटीय) का विकास और सशक्तिकरण मिशन के तहत सरकार द्वारा हमारे समुदाय के जल संबंधी परंपरागत कौशल ज्ञान को व्यवस्थित दिशा प्रदान करने और नई सतत विकास प्रक्रिया के तहत इस पुरातन ज्ञान को उन्नत वैज्ञानिक दृष्टिकोण के साथ जोडक़र विशेष आपदा ट्रेनिंग प्रदान किया जाना चाहिए ताकि देश के भीतर कोई भी जल से संबंधित आपदा जैसा बाढ़, सुनामी आदि की स्थिति में राहत व बचाव दल के साथ किसी भी क्षेत्र में कार्य करने को यह टीम तैयार हो सके। साथ ही जलीय वातावरण के संरक्षण हेतु वन आदिवासी समुदायों की तरह पर्यावरण के संरक्षण हेतु यह जलपोषित समुदाय एक सशक्त माध्यम बन सके। इस हेतु NDRF/SDRF की तर्ज पर अंतर्देशीय भारत हेतु टास्क फोर्स Majhi Disaster Relief Force, MDRF और तटीय भारत हेतु Tridesh Disaster Relief Force, TDRF का गठन किया जाना चाहिए। आपदा के समय को छोडक़र ये दल जलीय जीवन संरक्षण और जल-पर्यटन के क्षेत्र में कार्य करेंगे। सरकार को इस हेतु वितीय व्यवस्था किसी उपयुक्त मद से की जानी चाहिए।
एजेंडा – आइटम 6 – समुदाय के व्यवस्थित समग्र विकास के लिए शिक्षा और रोजगार का व्यापीकरण
शिक्षा और रोजगार जैसे प्रमुख विषयों को समाज के हित में उन लोगों तक इसकी पहुंच बनाना जहां अभी इसका विस्तार न्यूनतम है। रोजगार के ऐसे अवसर पैदा करने पर जोर देना जिससे आर्थिक रूप से अक्षम वर्ग भी अपने जीवन यापन के स्तर में परिवर्तन ला सके।

सम्मेलन में शामिल देश के अलग अलग राज्यों के प्रतिनिधी

अखिल भारतीय आदिवासी, कश्यप, कहार, निषाद, भोई समन्वय समिती के दो दिवसीय 15वें राष्ट्रीय अधिवेशन में पंजाब अध्यक्ष नरेन्द्र कश्यप ने रखा पंजाब का पक्ष

अखिल भारतीय आदिवासी, कश्यप, कहार, निषाद, भोई समन्वय समिती का दो दिवसीय 15 वां राष्ट्रीय अधिवेशन बिहार के मुजफ्फपुर में करवाया गया। राष्ट्रीय संयोजक श्री राजा राम कश्यप और गुरचरण सिंह कश्यप की ओर से दो दिन का 15 वां राष्ट्रीय अधिवेशन मुजफ्फरपुर जिले के कैप्टन निषाद सभागार में आयोजित किया गया। पूरी खबर पढ़ें –

Leave a Reply