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Lunj Vansh Jathere Reeti-Riwaz

लुन्ज वंश की रीतें

जय सती रानी - जय शहीद बादशाह

लुन्ज वंश की रीतें जो बड़े बजुर्गों ने बताई हैं उनको ही लुन्ज वंश प्रबंधकीय कमेटी अपने वंश के परिवारों व समस्त समाज के सांझा कर रहे हैं ताकि हमारे आने वाली पीढ़ी को यह रीति-रिवाज याद रहें।

1. लडक़े की शादी होने के बाद सेहरा बांधने की रस्म का बकरा देना होता है। यह रस्म इस प्रकार है – सेहरे का बकरा और सात-सात पूडिय़ों के चौदह अन्जारनों के साथ में हलवा, बिना नमक की खिचड़ी, वड़ी, मेहन्दी, सिन्दूर, मौली, बेरी की टहनी और गाय का गोबर रख कर अदा की जाती है।
2. शादी होने का पश्चात सती रानी के दरबार में भी शादीशुदा जोड़े को दोबारा सात फेरे लेने पड़ते हैं। इसके बाद ही शादी पक्की मानी जाती है।
3. लडक़ा पैदा होने के पांचवे दिन दलिया और बच्चे के कपड़े आदि मन्से जाते हैं। 13वें दिन जब बहु को चौके चढ़ाते हैं, तब चौदह अन्जारन बनाकर साथ में दातुन, सुरमा आदि मनसा जाता है। यदि पहला लडक़ा हो तो सती रानी के दरबार में लाल रंग की झंडी चढ़ाई जाती है। लडक़े के मुण्डन के समय बकरे की बलि की रस्म भी अदा की जाती है। इसके बाद ही लडक़े की मां बकरे का मीट खा सकती है और अपने हाथों में मेहंदी लगा सकती है। जितने लडक़े होंगे उतने ही बकरे देने होंगे। बकरा एक ही रंग का होना चाहिए।
4. यदि लडक़ी पैदा हो तो पांचवें दिन दलिया और बच्ची के कपड़े आदि मन्से जाते हैं और 13वें दिन सात अन्जारन मन्स कर बहुत को चौके चढ़ाया जाता है।
5. जब बहु की गोद भरी हो तो रीतां चढ़ाना मना है।
6. बहुओं को नत्थ पहनना भी मना किया गया है। नत्थ यदि एक तार की बनी हो तो पहन सकते हैं। बहुओं को हाथों में कांच की चूडिय़ां पहनना, काला परांदा, काला और नीला कपड़ा पहनना मना है और दो दुपट्टे जोड़ कर सिर पर लेना भी मना किया हुआ है।
7. बहुओं को सती रानी और जैतों शहीद जी के मन्दिर में नंगे मुंह मत्था नहीं टेकना चाहिए।
8. लडक़े को पालने में डालना भी मना किया गया है।

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