You are currently viewing Parents facing matrimonial problems for their children marriages

Parents facing matrimonial problems for their children marriages

बच्चों का रिश्ता करते समय रखें इन बातों का ध्यान

आज के समय में हर परिवार जिस समस्या का सामना कर रहा है – वह बच्चों के लिए उचित और योगय रिश्ता तलाश करने की है। बहुत से बच्चों की उम्र 30 साल के पार हो चुकी है लेकिन उन्हें आज भी अच्छा रिश्ता नहीं मिल रहा है। कई जगह तो यह उम्र 35 साल के ऊपर है। अखबारों में विज्ञापन देते हुए कई साल हो जाते हैं लेकिन रिश्ता नहीं होता। मैटरीमोनियल वैबसाइट पर रिश्तों की भरमार है, लेकिन पसंद नहीं आ रहा है। बहुत से लोगों ने मुफ्त के वॉटसएप गु्रप बना रखे हैं या फेसबुक पर ग्रुप चला रहे हैं जहां पर आज भी पिछले तीन-चार सालों वाले बहुत से बायोडाटा घूम रहे हैं जिनका रिश्ता नहीं हुआ है। ऐसे में हमें सोचने की जरूरत है कि क्या कारण है कि हमें अपने बच्चों के लिए रिश्ता नहीं मिल रहा है, जबकि उनकी उम्र बढ़ती जा रही है। इन्सान की औसत उम्र आज साठ साल के करीब रह गई है और उसमें भी हम बच्चों की उम्र 30-35 हो जाने के बावजूद भी उनका रिश्ता नहीं कर पा रहे हैं।
आज संयुक्त परिवार खत्म हो चुके हैं और हर परिवार न्यूकिलर हो चुका है। हर परिवार में एक या दो बच्चे हैं। यह बच्चे मां-बाप के लाडले और दुलारे होते हैं और सभी मां-बाप चाहते हैं कि उनके बच्चों के लिए उन्हें बहुत ही शानदार लडक़ा या लडक़ी मिले। लडक़े वाले चाहते हैं कि उन्हें एक सुन्दर, सुशील, पढ़ी-लिखी, नौकरी करने वाली, घर संभालने वाली, घर का काम करने वाली, आज्ञाकारी, लडक़े के साथ सोसायटी में जाने वाली, सास ससुर की सेवा करने वाली, अच्छे घर की लडक़ी या एन.आर.आई. लडक़ी मिले। दूसरी ओर लडक़ी वाले चाहते हैं कि उन्हें एक सुन्दर, अच्छी डिग्री वाला, अच्छी कमाई वाला, अच्छी कोठी वाला, बढिय़ा कार वाला, उनकी बेटी को देश-विदेश की सैर करवाने वाला, मां-बाप का इकलौता लडक़ा या विदेश में सैटल लडक़ा मिले जिसकी या तो बहुत अच्छी नौकरी हो या बहुत बढिय़ा बिकानेस हो। आज कल पंजाब में तो यही मांग ज्यादा है कि लडक़ा या लडक़ी विदेश (कैनेडा, अमेरिका या यूरोप) का रिश्ता चाहते हैं। मां-बाप भी उनकी इस मांग के चक्कर में उनकी उम्र के बारे में ध्यान नहीं दे रहे हैं और उनकी विवाह की उम्र निकलती जा रही है। हमने कश्यप क्रांति पत्रिका के माध्यम से पिछले 22 साल में हजारों परिवारों को अच्छा रिश्ता ढूंढने में मदद की है और बहुत से कारण जाने हैं कि रिश्ता करने में किन-किन बातों का ध्यान रखें तो हमारे बच्चों के लिए हमें अच्छा रिश्ता मिल सकता है।
हमने इसके लिए 10 प्वाइंट चुने हैं जो आपको अच्छा रिश्ता चुनने में मदद कर सकते हैं। जैसे परीक्षा के 100 नंबरों में से हर कोई 100 नंबर नहीं ले सकता उसी तरह रिश्ता करते समय हमारी सभी डिमांड पूरी नहीं हो सकती हैं। परीक्षा में 60 प्रतिशत से ज्यादा नंबर लेने वाला फस्र्ट डिवीकान, 70 प्रतिशत से ज्यादा नंबर लेने वाला ए ग्रेड, 80 प्रतिशत से ज्यादा नंबर लेने वाला मैरिट में, 90 प्रतिशत से ज्यादा नंबर वाला टॉपर होता है और 100 प्रतिशत लेने वाले तो कोई एक या दो ही होते हैं। इसी तरह रिश्ता करते समय भी इन 10 प्वाइंट में से आप अपनी पसंद के अनुसार नंबर दे सकते हैं और 60 प्रतिशत से ज्यादा वाला रिश्ता अच्छा है। इससे ज्यादा प्वाइंट अगर मिल जाएं तो रिश्ता और भी ज्यादा बढिय़ा है। आइए जानते हैं रिश्तों के प्वाइंट के बारे में –
1. फैमली बैकग्रांउड – रिश्ता करते समय सबसे जरूरी पहला प्वाइंट ही है कि लडक़े या लडक़ी की फैमली बैकग्रांउड पता की जाए। उनके खानदान के बारे में जानने से आपको रिश्ता करने में बहुत आसानी होगी। अच्छे खानदान वाले अपने बच्चों को अच्छे संस्कार देते हैं और उनकी यह परम्परा चलती रहती है। हालांकि आजकल बच्चों के बारे में कोई भी गारंटी नहीं की जा सकती है, लेकिन फिर भी अच्छे परिवार के बच्चे तकरीबन अच्छे ही होते हैं और परिवार की अहमियत समझते हैं। आप अच्छे परिवार को अपनी सुविधा के अनुसार 10 में जितने चाहे नंबर दे सकते हैं।
2. बच्चे का कैरेकटर – रिश्ता करते समय सबसे अहम प्वाइंट है कि जिससे हम रिश्ता करने जा रहे हैं उस बच्चे का कैरेक्टर कैसा है? यह सबसे जरूरी प्वाइंट है जिसे बड़े ध्यान से देखना चाहिए। आजकल बच्चे पढ़-लिख कर दूसरे शहरों में नौकरी कर रहे हैं। बहुत बार ऐसा होता है कि लडक़ा किसी गलत संगत में पड़ जाता है और नशे वगैरह करने लग जाता है या उसकी दोस्ती गलत लोगों के साथ हो जाती है और वह मार-पीट में आगे रहता है। ऐसा रिश्ता कभी भी नहीं करना चाहिए। दूसरी तरफ सभी जानते हैं कि आज कल बच्चे प्यार के चक्कर में पड़ जाते हैं। अगर प्यार हो गया है तो लडक़ा-लडक़ी दोनों इसमें शामिल होंगे। कई बार कालेज, यूनिवर्सिटी में पढ़ते हुए ही इन्हें प्यार हो जाता है और कभी कई बार साथ काम करने वालों में प्यार हो जाता है। रिश्ता करते समय इस बात का विशेष ध्यान रखें कि लडक़े या लडक़ी का साथ काम करने वाले साथी से कोई संबंध तो नहीं है, नहीं तो बाद में पछताना पड़ सकता है।
3. एजुकेशन या डिग्री – आज पढ़ाई में इतनी सारी डिग्रीयां हो गई हैं कि एक ही डिग्री वाले लडक़ा-लडक़ी मिलने मुश्किल हैं। यह ठीक है कि बच्चे पढ़े-लिखे होने चाहिए, लेकिन किसी भी डिग्री को लेकर यह नहीं होना चाहिए कि हमें तो सिर्फ इसी डिग्री वाला लडक़ा या लडक़ी चाहिए। ऐसा होना बहुत ही मुश्किल है। अगर ऐसा हो भी जाता है तो जरूरी नहीं कि उनकी आपस में बिल्कुल बन सकती है। लडक़ा या लडक़ी शिक्षित होने चाहिए, उनमें अच्छे संस्कार होने चाहिए। इस प्वाइंट को भी आप अपनी सुविधा अनुसार 10 में जितने चाहे नंबर दे सकते हैं।
4. प्रोफेशन और इनकम – रिश्ता करते समय यह देखना भी बहुत जरूरी है कि जिस लडक़े से हम अपनी बेटी का रिश्ता करने जा रहे हैं वह क्या काम करता है और उसकी कितनी इनकम है? अगर लडक़े का बिकानेस अच्छा है तो उसकी पढ़ाई के साथ समझौता किया जा सकता है क्योंकि जिसने बिकानेस करना है अगर वह +2 भी पास है चल सकता है क्योंकि उसने जो तीन साल डिग्री करने के लिए लगाने थे, उसने वह अपने बिकानेस को समझने में लगा दिए हैं। यह डिग्री से ज्यादा महत्वपूर्ण है कि उसने अपने बिकानेस के सीक्रेट सीख लिए हैं। लड़कियां ज्यादा पढ़-लिख जाती हैं क्योंकि उनका ज्यादा ध्यान पढ़ाई पर रहता है। अगर लडक़े ने कोई अच्छी बैचलर या मास्टर डिग्री की हुई है तो शुरुआत में उसको ज्यादा सैलरी नहीं मिलेगी। इस बात का ध्यान रखें कि कैरियर के शुरुआती चार-पांच साल तो आपको काम सीखने और अपने आपको कंपनी में सैटल होने में लग जाते हैं। जैसे ही लडक़े या लडक़ी ने कंपनी में अपनी सैटलमैंट की उसकी सैलरी बढऩा तय है। अगर आप शुरुआत में ही किसी लडक़े या लडक़ी की सैलरी 1 लाख रुपए से ऊपर होने की उम्मीद करते हैं तो यह बिल्कुल वैसा ही जैसे आप किसी नवजात बच्चे से भागने की उम्मीद करें। यह देखें कि लडक़ा जिस कंपनी में काम कर रहा है वहां उसका भविष्य कैसा होगा? उसकी तरक्की के कितने चांस हैं? इस प्वाइंट को भी आप अपनी सुविधा अनुसार 10 में जितने चाहे नंबर दे सकते हैं।
5. धर्म और इलाका – रिश्ता करते समय धर्म की एक बहुत बड़ी समस्या सामने आ जाती है, विशेषकर पंजाब, हरियाणा या दिल्ली के क्षेत्र में यह ज्यादा है। यहां पर हिन्दू या सिख धर्म का मामला सामने आ जाता है। यहां पर बहुत से ऐसे सिख परिवार रहते हैं जिनका धर्म तो सिख है लेकिन वह बाल कटवा कर रहते हैं। पंजाब में तो ऐसे बहुत से परिवार हैं जहां एक भाई सरदार और दूसरा कटिंग वाला है। कोई भी परिवार कट्टर नहीं होना चाहिए। थोड़ी-बहुत एडजस्टमैंट तो यहां चल सकती है। अगर लडक़ा या लडक़ी अच्छी मिल रही है तो हिन्दू-सिख धर्म का मसला नहीं होना चाहिए।
अगर आप अपनी रिश्तेदारी में भी देखेंगे तो आप को बहुत सी ऐसी जोडिय़ां मिल जाएंगी जो इन दोनों धर्मों के आपसी प्यार को दर्शाती होंगी। दूसरा मसला इलाके का हो जाता है। पंजाब के लोगों को ही ले लीजिए – यहां दोआबा वाले मालवे या माझे में रिश्ता नहीं करना चाहते। माझे वाले दोआबा या मालवे में रिश्ता नहीं करना चाहते और मालवे वाले दोआबा या माझे में रिश्ता नहीं करना चाहते। किसी को किसी दूसरे शहर से प्रॉब्लम है कि उस शहर में रिश्ता नहीं करना है कि वहां के लडक़े या लड़कियां अच्छे नहीं हैं। यदि एक ही राज्य में ऐसी समस्या है तो हम दूसरे राज्य के लडक़े या लडक़ी के साथ कैसे रिश्ता कर सकेंगे। लडक़ा या लडक़ी अच्छा, नेक और कमाऊ होना चाहिए, इलाके की कोई समस्या नहीं होती है। यदि हम इस बात को छोड़ देंगे तो आपको अच्छा रिश्ता मिलने में आसानी होगी। अगर आपको लडक़े या लडक़ी में बाकी सभी गुण मिल रहे हैं तो दूर या नकादीक कोई समस्या नहीं है। आजकल हर जगह आने जाने के साधन बहुत हैं। सडक़े बहुत शानदार बन चुकी हैं और बहुत से लोगों के पास अपने साधन हैं। ऐसे में कुछ भी दूर नहीं है, बस आपको अपनी सोच बदलने की जरूरत है। इस प्वाइंट को भी आप अपनी सुविधा अनुसार 10 में जितने चाहे नंबर दे सकते हैं।
6. कुंडली – आज बहुत से परिवार कुंडली मिलाने पर बहुत ज्यादा विश्वास करते हैं। यह परिवार कुंडली मिलाए बगैर रिश्ता नहीं करना चाहते हैं। मान लीजिए आपको अपनी जरूरत के अनुसार रिश्ता मिल रहा है और कुंडली नहीं मिली तो आप रिश्ता छोड़ देते हैं। दोबारा ऐसा रिश्ता मिलना नामुमनिक नहीं तो मुश्किल जरूर होगा। कुंडली मिलाने के चक्कर में ही कई बार बच्चों की उम्र बढ़ जाती है। कुंडली में ही कई दोष निकल आते हैं। पंडित जी कहते हैं कि नाड़ी दोष है, लडक़ा या लडक़ी मंगलीक है, गुण नहीं मिलते हैं, ग्रह नहीं मिलते हैं, इनकी राशी में दोष है आदि कई तरह के चक्कर रहते हैं। इन चक्करों में बहुत बार हाथ से अच्छा रिश्ता निकल जाता है। कुंडली को आप इस अपनी सुविधा अनुसार 10 में जितने चाहे नंबर दे सकते हैं।
7. घर – रिश्ता करते समय यह प्वाइंट भी बहुत अहम है। लडक़े का घर देखना तो जरूरी है ही लेकिन आज कल लडक़े वाले भी लडक़ी वालों का घर देखते हैं कि हमारा लडक़ा कहां जा कर रहेगा? अगर उसके साथ उसके दोस्त जाते हैं तो क्या होगा? देखिए लडक़ी ने लडक़े के घर में हमेशा के लिए रहने के लिए आना है तो लडक़ी वालों का घर देखना उनका फर्ज है कि उनकी लडक़ी को कहां रहना है। घर छोटा या बड़ा हो सकता है। जरूरी नहीं है कि सबके पास बढिय़ा कोठी ही होगी। किसी का घर छोटा भी होगा और वह किसी मोहल्ले में रहता होगा। देखने वाली बात है कि घर में कितने सदस्य हैं और उनका रहन-सहन कैसा है। अगर लडक़ा-लडक़ी के रहने के लिए अलग कमरा है और परिवार के बाकी सदस्यों के पास रहने के लिए अपने कमरे हैं तो ठीक है। लडक़े की सैटलमैंट करना लडक़े वालों की जिम्मेवारी है ना कि लडक़ी वालों की। वह अपने बेटे और बहु के रहने के लिए प्रबंध करके ही शादी करेंगे। किसी दूसरे रिश्तेदार की कोठी देखकर यह न सोचें कि सबको कोठी वाला ही लडक़ा मिलेगा। घर अपना होना चाहिए, फिर चाहे वह छोटा ही क्यों न हो। आजकल घर बनाना आसान काम नहीं है। अपनी हैसियत के अनुसार ही बराबरी में रिश्ता तय करें तो यह आपके और आपके बच्चों के लिए भी बहुत बेहतर होगा। लडक़े वालों को भी लडक़ी के घर पर ज्यादा ध्यान नहीं देना चाहिए, क्योंकि लडक़ी वाले अपने दामाद और अपने समधियों की सुख सविधा का पूरा ध्यान रखेंगे। आप घर वाले इस प्वाइंट को भी आप अपनी सुविधा अनुसार 10 में जितने चाहे नंबर दे सकते हैं।
8. पर्सनेल्टी – अगर ऊपर लिखे हुए सभी पड़ाव पार हो जाते हैं तो फिर बारी आएगी लडक़ा या लडक़ी देखने की। सबसे पहले तो लडक़ी वाले लडक़ा देखते हैं कि वह उनकी लडक़ी के लिए कितना सही है। यहां पर अक्सर लडक़े की पर्सनेल्टी देखी जाती है। यदि लडक़ा देखने में अच्छा नहीं है तो फिर बाकी सब गुण खत्म हो जाते हैं। पर्सनेल्टी में बहुत सी चीजें देखने वाली होती हैं जिनके बारे में अलग से एक आर्टिकल लिखेंगे। यदि लडक़ा पसंद आने के बाद लडक़े वाले लडक़ी देखते हैं तो यहां लडक़ी की पर्सनेल्टी ही सबसे ज्यादा देखी जाएगी। अगर लडक़ी सुंदर है तो बात बन जाएगी, लेकिन अगर लडक़ी का रंग सांवला है तो कई बार रंग के कारण बाकी के गुण फीके पड़ जाते हैं। बहुत से लडक़े वाले उस समय गुणों से ज्यादा रंग को महत्व देते हैं जो कि सही बात नहीं है। अगर बाकी गुण आपको अच्छे लगते हैं तो रंग से थोड़ा-बहुत समझौता किया जा सकता है। पर्सनेल्टी में रंग के बाद दूसरा नंबर सेहत का आता है। हमने ऊपर भी लिखा है कि आज कल घर में एक या दो ही बच्चे होते हैं। ऐसे में वह मां-बाप के लाडले होते हैं। इसी चक्कर में कई बार मां-बाप बच्चों की सेहत की तरफ ध्यान नहीं देते और कई बार लडक़ा या लडक़ी मोटापे का शिकार हो जाते हैं। मोटापा और अच्छी सेहत में बहुत फर्क होता है। शादी से पहले लडक़े-लड़कियों को अपनी सेहत की तरफ पूरा ध्यान देना चाहिए। आप पर्सनेल्टी को अपनी सुविधा के अनुसार नंबर दे सकते हैं।
9. वेज और नॉन-वेज – शादी करने के चक्कर में एक बड़ी अड़चन वेज और नॉन-वेज खाने वालों में आ जाती है। बहुत से परिवार किसी विशेष समुदाय या गुरु से जुड़े होते हैं जहां उन्हें नॉन-वेज खाने की मनाही होती है। कई बार लडक़ी अपने समुदाय या गुरु से इतनी जुड़ जाती है कि उसके लिए नॉन-वेज खाने वाले परिवार में रिश्ता करना मुश्किल हो जाता है। हमारा ऐसा विचार है कि लड़कियों को शादी से पहले किसी भी गुरु से नाम दान नहीं लेना चाहिए, क्योंकि पता नहीं शादी के बाद उसके सुसराल परिवार के कैसे होंगे, किस समुदाय या गुरु को मानते होंगे? यदि लडक़ी पहले से ही किसी बंधन में बंधी होगी तो उसके लिए नए परिवार में एडजेस्ट करना बहुत मुश्किल होगा और उसका वैवाहिक जीवन सुखी नहीं रह सकेगा। लडक़ी के मां-बाप को चाहिए कि वह अच्छा लडक़ा और परिवार देखें। नॉन-वेज खाना कोई बहुत बड़ी समस्या नहीं है। सिर्फ इसी कारण आप अपनी लाडली के लिए अच्छा रिश्ता ना गंवाएं। लडक़ा कोई नशा न करता हो, यह देखने वाली बात है।
10. आपसी समझदारी – शादी के लिए सबसे जरूरी है कि लडक़े-लडक़ी की आपस में समझदारी कैसी है? आज के समय में जब लडक़ा -लडक़ी एक दूसरे के साथ बात करने के बाद शादी के लिए हां करते हैं तो यह जरूरी है कि वह अपने विचार एक दूसरे के साथ सांझे करें। एक दूसरे के विचारों और भावनाओं की कद्र करें। इस समय थोड़ा खुल कर बातचीत करेंगे तो उनके लिए आने वाला समय खुशियों से भरा होगा। आज कल के बच्चे पढ़े-लिखे और समझदार हैं। उन्होंने कॉर्पोरेट सेक्टर में काम किया है और काम की मुश्किलों और साथ काम करने वालों के साथ अच्छे संबंध बनाना उन्हें आता है। यही बात उन्हें जीवन साथी से खुल कर करनी चाहिए कि उनके काम और घरेलू जिंदगी में संबंध कैसे होंगे। इस बात के लिए नंबर लडक़े और लडक़ी पर निर्भर करते हैं।
अब आप सभी प्वाइंट के लिए अलग-अलग दिए नंबरों को जोड़ लीजिए। यदि आपके नंबर 60 से ज्यादा हैं तो यह रिश्ता आपके लिए बहुत सही है। अब ज्यादा सोच-विचार में समय ना गंवा कर आप इस रिश्ते के लिए हां कर सकते हैं। इससे और बढिय़ा, और बढिय़ा, और बढिय़ा के चक्कर में ऐसे अच्छे रिश्ते हाथ से निकल जाते हैं और फिर जल्दी कोई रिश्ता नहीं मिलता है। ज्यादा बढिय़ा और परफेक्ट के चक्कर में अपने बच्चों की शादी की उम्र ना निकालें। बच्चे समझदार तो हैं, लेकिन मां-बाप से ज्यादा जिंदगी का अनुभव उनके पास नहीं है। जो चीज समय के साथ होगी, वह समय के साथ ही होगी, लेकिन शादी की एक उम्र होती है। यदि शादी की यह उम्र निकल जाए तो फिर आपको अच्छा रिश्ता नहीं मिलेगा, जो मिलेगा वह एक समझौता होगा जिसे आप अपनी पसंद कह सकते हैं।
रिश्तों के बारे में बहुत से लेख आपके साथ सांझे करते रहेंगे। आप इस लेख के संबंध में अपने कमेंट हमें जरूर लिखें ताकि आपकी मुश्किलों और जरूरतों को समझते हुए हम आपके साथ अपने अनुभव शेयर करते रहें।
आपका अपना
नरेन्द्र कश्यप
मुख्य संपादक – कश्यप क्रांति पत्रिका

Leave a Reply