समाज सेवी प्रेम नाथ फुटबाल वाले के अंतिम संस्कार में शामिल हुए कश्यप समाज के साथी
जालन्धर में महर्षि कश्यप शोभा यात्रा शुरू करने वाले पहले इन्सान थे प्रेम नाथ टाक
प्रेम नाथ के अंतिम संस्कार की रस्में पूरी करते हुए बेटा राज कुमार
जालन्धर, 26-9-2024 (गुरिन्द्र कश्यप) – जालन्धर में कश्यप समाज के अग्रणी सेवा करने वाले प्रेम नाथ फुटबाल वाले अपनी संसारिक यात्रा पूरी करते हुए 25 सितम्बर 2024 को स्वर्ग सिधार गए। प्रेम फुटबाल वाले के नाम से मशहूर प्रेम नाथ मुहल्ला करार खां और गोपाल नगर में कश्यप समाज की सभाओं से जुड़े हुए थे। वह पिछले थोड़े समय से बिमार चल रहे थे और 25-9-2024 को उन्होंने अपने जीवन के अंतिम सांस लिए। उनका अंतिम संस्कार 26 सितम्बर 2024 को दोपहर 12.30 बजे हरनामदास पुरा के श्मशानघाट में किया गया।
इनके बेटे राज कुमार ने पिता का अंतिम संस्कार करने की सारी रस्में पूरी की और पिता के पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार किया।। प्रेम नाथ के अचानक चले जाने से पूरे परिवार का रो-रोकर बुरा हाल था। अंतिम संस्कार में सर्वधर्म सम्मान कश्यप नौजवान सभा, कश्यप युवा शक्ति सेवा दल के सदस्य, प्रधान गिरधारी लाल, राम लुभाया बल्ल, राज कुमार राजू, गुलशन कश्यप, पवन भोढी, मास्टर मनोहर लाल, जनक राज, सतीश कुमार पंजू, कश्यप क्रांति पत्रिका की मुख्य संपादक श्रीमति मीनाक्षी कश्यप, रिश्तेदार और समाज के बहुत से साथी शामिल हुए और प्रेम नाथ को नम आंखों से विदाई दी।
परिवार – प्रेम नाथ का जन्म 4 मार्च 1958 को पिता दौलत राम और माता राम प्यारी के घर में हुआ। यह 4 भाई और दो बहनें थे। 24-11-1982 को इनकी शादी लुधियाना की कृष्णा रानी के साथ हुई और घर में तीन बेटियां और एक बेटे के साथ परिवार बना। सभी बच्चे अपने परिवार के साथ खुशहाल जिंदगी जी रहे हैं। प्रेम नाथ फुटबाल सिलाई का काम करने के ठेकेदार थे। इनके साथ बहुत से परिवार जुड़े हुए थे जो फुटबालों की सिलाई करके अपने परिवार का पालन पोषण करते थे।
समाज सेवा – प्रेम नाथ को समाज सेवा में बहुत लगाव थे। वह कश्यप समाज से जुड़े हुए एक सादा जीवन जीने वाले इन्सान थे। सबसे पहले इन्होंने भाई हिम्मत सिंह और बाबा मोती राम मेहरा के कैलंडर छपवा कर कश्यप समाज के घरों में पहुंचाए। इसके बाद इन्होंने अपने साथियों के साथ मिलकर महर्षि कश्यप जी की शोभा यात्रा निकालनी शुरू की। प्रो. राम लुभाया बल्ल और कश्यप क्रांति के मालिक नरेन्द्र कश्यप के साथ और सभा के सहयोग से यह शोभा यात्रा मुहल्ले से निकल कर शहर की परिक्रमा तक पहुंची। कश्यप राजपूत परिवार सम्मेलन में हर बार महर्षि कश्यप जी की मूर्ति लाने और ले जाने की सेवा प्रेम नाथ जी करते थे। कश्यप समाज को इनका बहुत सहयोग था और यह चुपचाप अपनी सेवा करते रहते थे।
ऐसे नि:स्वार्थ और कर्मयोगी साथी के चले जाने से जहां परिवार को बहुत दु:ख पहुंचा है वहीं कश्यप समाज ने भी एक अच्छा साथी खो दिया है जिसकी कमी हमेशा महसूस होगी। हम कश्यप क्रांति पत्रिका और कश्यप राजपूत वैबसाइट की टीम की ओर से इनके परिवार के साथ दु:ख सांझा करते हैं और प्रमात्मा से प्रार्थना करते हैं कि वह बिछड़ी आत्मा को अपने चरणों में निवास दे और परिवार को इस दु:ख को सहने की शक्ति प्रदान करे।