Ratra Vansh History

Ratra Vansh Jathere is situated at Devi Nagar, G.T. Road, Ambala City. Annual Mela is celebrated in march month every year. 

रतड़ा वंश का इतिहास

650 ई. सदी शाहजहां बादशाह राज करता था. रियासत में राजा परगो राज करता था. उसका एक छोटा भाई जगदेव था. राजा परगो की रानी का नाम था जगीसा, वह देव गुगे भक्ती करती थी. उसके दवार में एक साधू आया और रानी ने उसकी सेवा में भोजन करवाया. साधू ने रानी को वरदान दिया कि तेरे घर में तीन पुत्र होंगे. तीसरा लडक़ा जो होगा वह तुम्हारे वंश का चिराग होगा. जब तीसरे पुत्र का जन्म हुआ तो पंडित जी को बुलाया और उसका नाम निकला थमन. पहले लडक़े का नाम था अम्बो, दूसरे का नाम रतो बादशाह और तीसरा लडक़ा थमन था. वह गुगे की भक्ति करता था. जब वह 18 वर्ष का हुआ तो उसके पिता का स्वर्गवास हो गया. जब वह 20 वर्ष का हुआ तो परोद को कहने लगे कि इसके लिए कोई लडक़ी देखें. सरमुख शहर का एक राजा था. उसका नाम सारो राजा था. राजे की लडक़ी का नाम गोमा था. वह भी जवान हो गई. राजा सारो को पता चला कि परगवाल का एक लडक़ा था थमन. राजा सारो ने परोग को भेजा कि थमन और उसकी लडक़ी का रिश्ता कर आया. लडक़े और लडक़ी की बात पक्की हो गई.
कुछ समय बाद महूरत निकाला. माघ महीने की 21 तारीख साथ रचाई. नौ ग्रह पूजे, जग रचाया, भारद्वाज गोत्र निकला, गोत्र चार्ज कराई. फरड़ी बैठा थमन, दही नाई 22 ताराक के राजा इक्ट्ठे हुए. जंज चढ़ेदे जाई माज भरगवाल तों चली. जंज सरमुख शहर में आई. जगदेव राजा के चाचा की मिलनी की सारी राजा नाई जाई. नौ लखां का हार जगदेव के गले में पाया. मिलनी की. खाना खाया. बैठ दरबार में जाई. अमृत वेले को मिलने फेरे रानी गुदा दे जाई. सात फेरे थमन ने विहाई गोमा जाई. सब लोग घर चले गए. रानी गड महल में बिहाई. भक्ति करता थमन राजा देव गुगे की कुछ समय के बाद गोमा के लडक़ी का जन्म हुआ. उसका नाम रखा द्रोपती. एक दिन राजा थमन अपनी माता से कहने लगा कि मैंने शिकार खेलने के लिए जाना है. माता ने उन्हें रोका कि तुम कभी शिकार खेलने नहीं गए, इसलिए मत जाओ. परन्तु वह बोला कि सभी राजा शिकार के लिए जाते हैं, मैं क्यों न जाऊं? माता को कहने लगा कि मुझे नीला घोड़ा देने की आज्ञा दीजिए और माता ने हुक्म दे दिया.
जब राजा थमन शिकार के लिए निकला तो माता बोली कि इस नीले घोड़े को एड़ी मत मारना. राजा थमन घोड़े को लेकर महल से बाहर निकला तो बिल्ली ने रास्ता काट दिया. इपर तो एक औरत आग लेकर आगे से निकली. वह फिर चल पड़ा. चलते चलते गांव हाजीपुर आ गया. दिवाली का दिन था. वह सुबह चल पड़ा. दिल्ली आ गया. वहां शाहजहां राज करता था. वह चंपटवाली खेल खेलता था. वह किसी भी राजा को जीतने नहीं देता था. जो उसके सामने हारता था वह उसकी बाजू काट देता था. कई लोगों की बाजू उसने काटी थी. राजा थमन वहां पहुंचा और शाहजहां के साथ छपड़वाली खेल खेला और तीन बाजीयां बाबा थमन ने जीत ली. जीतने के बाद अपने खंजर को पकड़ा तो शाहजहां बोला कि तुम्हें राम कसम मुझे मत मारो. थमन ने कहा कि मैं तुम्हें माफ करता हूं, परन्तु तुम आगे से किसी की बाजू नहीं काटोगे. फिर शाहजहां बोला कि तुम राजपूत हो . तुम कुछ समय के लिए राजमहल में रहो. हमारे सिपाहियों को समझा कर जाओ. इतने में लोग रोते रोते वहां आए और कहने लगे कि हमारे गांव में एक शेर है जो लोगों का शिकार कर रहा है. जब थमन ने बात सुनी तो वह शेर का शिकार करने के लिए तैयार हो गया. जब थमन घोड़े को लेकर जमुना पार पहुंचा तो वहां देखा कि शेर सोया हुआ था. उसने सोचा कि सोये हुए शेर को मारना राजपूतों का काम नहीं है. उसने शेर को जगाया तो शेर उठ कर गरजा तो थमन ने शेर की गर्दन उतार दी. फिर वह वहां से चल पड़ा और वह शाहजहां के पास आकर वापिस जाने की आज्ञा मांगने लगा. शाहजहां ने कहा कि तुम जितना धन चाहो ले जाओ, लेकिन राजा थमन ने इनकार कर दिया. जब राजा थमन महल से बाहर आया तो कुछ मुगलों ने उसका रास्ता रोका. मुगलों ने कहा कि इसे जीवित नहीं जाने दिया जाएगा. युद्ध शुरु हुआ. सुबह से लेकर शाम तक युद्ध चलता रहा. मुगलों ने राजा थमन की गर्दन उतार दी लेकिन थमन ने अपनी गर्दन पकड़ ली. घोड़ा दौड़ता हुआ सनखतरा गांव में आ गया. सनखतरा गांव के लोगों ने जब हाथ में गर्दन देखी तो गांव में हाहाकार मच गई. हाहाकार में गर्दन नीचे गिर गई. घोड़ा दौड़ता दौड़ता सगर गांव में आ गया तो लोगों ने देखा कि इसकी गर्दन तो सिर पर नहीं. लोगों ने शोर मचाया तो घोड़ा वहीं गिर गया.
राजा थमन रानी के सपने में आया और कहा कि तुम यहां सोई हुई हो और मैं बाहर जंगल में गिरा पड़ा हूं. रानी बोली जब से मेरी शादी हुई है मैं तो कभी बाहर गई नहीं तो मुझे कैसे पता कि सगर गांव कहां है? फिर राजा थमन बोला कि अपनी बेटी को गोद में पकड़ो और आंखें बंद कर लो. मैं तुम्हें अभी अपने पास ले आता हूं. जब रानी ने आंखें बंद की तो तूफान आ गया. रानी ने अपने सिर जो चुनरी ली थी उसके ऊपर एक और कपड़ा ले लिया. तूफान में उड़ती हुई रानी अपने पति के पास पहुंच गई. जब आगे देखा तो पति की लाश पड़ी मिली. तब सभी गांव वाले इक्टठे हुए और उसके भाई भी आ गए. तब रानी बोली कि इनका सिर सनखतरे गांव में है और वहां से सिर लेकर आए तो राजा अम्बो और रतो बादशाह वहां से सिर लेकर आए. जबह चिता जलाने लगे तो रानी लडक़ी को गोद में लेकर चिता पर बैठ गई और कहने लगी कि हम भी इसके साथ ही मरेंगे. राजा अम्बो और रतो कहने लगे कि जो भी उसको अगनी देगा हम उसे मार देंगे. लेकिन वह वहीं बैठी रही और गोमा देवी ने मां ज्वाला जी को याद किया तो मां गोमा के मुंह से आग निकली. अगनी से चिता जलने लगी तो लडक़ी की चीख निकली. उसकी चीख इंद्रपुरी भगवान के पास पहुंची. चीख सुनकर इंद्र देवता ने पूछा कि यह क्या हुआ? देवी ने बोला कि राजा थमन की मृत्यु के बाद रानी अपनी बेटी के साथ जलने से उसकी सात साल की लडक़ी जलने से चीख रही है. इन्हे बचाओ. भगवान इंद्र ने दूतों को भेजा कि उन्हें यहां ला आओ. ऊपर से अमर पगुंडिय़ा आया और उनको इंद्रपुरी ले आया.
रतड़ा वंश का जोगी राम था. उसे आवाज आई कि मेरे वंश के रीति-रिवाज सभी को बताना. वह आवाज राजा थमन की थी.

रतड़ा वंश के रीति - रिवाज

1. कांच की चूडिय़ां नहीं पहनी जायें.
2. आम का आचार वंश का कोई भी सदस्य नहीं काटेगा.
3. वडिय़ां न बनाई जायें.
4. बच्चे को तगड़ी न पहनाई जाये.
5. बच्चे को पालने में न डाला जाये.
6. बच्चे को मंकी कैप (टोपी) न पहनाई जाये.
7. दो कपड़े या दुपट्टे जोडक़र सिर पर न ओड़ें.
8. जांघ (पट) पर रखकर कढ़ाई न की जाये.
9. मुक्कीमार वंश में लडक़ी का रिश्ता ना करे (मना है).
10. विवाह के बाद हर जोड़े को एक बार वंश के मन्दिर में विवाह की तरह सात फेरे लेने चाहिये.

रीतों के अंजारन
जब बहू को बच्चा होने वाला हो तो बहू सातवें महीने अपने मायके जायेगी और वहां से सवा किलो गेहूं व सवा किलो गुड़ लाकर अपनी सास को देगी. आठवें महीने की अष्टमी को 7-7 पूड़ी के 14 अंजारन बनायेंगे. साथ में मेहन्दी, मौली, दातुन, सिन्दूर व फूल. अंजारन की विधि व सामान वही होगा जो पहले ऊपर लिखा गया है. फिर उसी शाम को एक बड़े टोकरे में बहू को बैठा कर ननद नये कपड़े पहनाकर उसका श्रृंगार करेगी. फिर गुड़ और गेहूं को मिलाकर मरूंडा बना लें और उसे ध्यानी (लड़कियां) गवाले, बहू व बेटे को देने के बाद सब में बांट दें. जब बच्चा पैदा हो जाये तो लडक़ा होने पर 7 वक्त साढ़े तीन दिन व्रत रखा जाये. बहू को खाने में अनाज न दिया जाये.
मुण्डन के 32 अंजारन
लडक़ा होने पर छोटी उम्र में ही मुण्डन होना चाहिए. मुण्डन जोड़ी (दो लडक़ों के) होने चाहिये. किसी का एक हो तो वंश के दूसरे लडक़े के साथ कर सकते हैं. जिसकी हैसियत कमजोर हो वह वंश के मन्दिर देवी नगर अम्बाला में भी कर सकते हैं. मुण्डन पर 32 अंजारन बनाने हैं. वही अष्टमी वाले दिन सुच्चे मुंह नहा धोकर. अंजारन की विधी है जो ऊपर लिखी है (साथ में मेहन्दी भी रखें) बाकी साम्रगी विवाह वाली होगी. मुण्डन के बाद बच्चे को मामा द्वारा लाये गये सफेद व पगड़ी पहनाई जाये. मनौती पर 7 अंजारन हलवे के होंगे.
रीति व रिवाज क्या करना है क्या नहीं करना है?
1. जब तक मुण्डन न हो जाये तब तक लडक़ा फूलों की कलियों को हाथ न लगाये. मां-बेटा मेहन्दी नहीं लगा सकते.
2. छोटी कन्या को गोटे किनारी वाले कपड़े न पहनाये जायें.
3. घर का कोई सदस्य काला कपड़ा नहीं पहनेगा.

नोट – यह सारी जानकारी रतड़ा वंश के जठेरों की कमेटी के सदस्य श्री पवन रतड़ा जी ने दी है। अधिक जानकारी के लिए आप पवन रतड़ा से उनके मोबाइल नंबर 98762-48563 पर संपर्क कर सकते हैं।