KASHYAP RAJPUT FAMILIES

Membership No.

2161/1-4-2021

Name

Om Bhardwaj (Famti)

Father

Late Sh. Bansi Lal Famti

Mother

Late Smt. Pushpawanti Gadri

Grand Father-Mother

Vaid Sh. Sohan Lal – Smt. Ram Rakhi

Birthday

14th September

Qualification

Matric

Profession

CMD – North India Life Sciences Pvt. Ltd. Karnal

Life Partner

Smt. Raj Bhardwaj – Dain

Qualification

Matric

Profession

Home Maker

Marriage Anniversary

22nd November

In- Laws Details

Sh. Jeevan Mall – Smt. Suhagwanti of Ludhiana

Brothers

3

Sisters

3

Address

887, Sector – 13, Karnal

Contact No.

97296-18222

e-mail

 

Social Activity

Social Person

Achievement

 

Dated

1-4-2021

Details of Children

Name

Relation

Birth

Qualification

Profession

Anup Bhardwaj

Son

1975

Graduation

Industrialist

Avnish Bhardwaj

Son

1976

Graduation

Industrialist

Neha

Daughter

1983

+2

Home Maker

दुनिया ने जिसे ठोकरें मारी, मां भगवती ने बनाया उसे दूसरों का सहारा

बस में गोलियां बेचने से शुरू हुआ सफर उत्तर भारत के मशहूर दवा निर्माता बनने तक पहुंचा - आगे निरंतर सफलता जारी है

Sh. Om Bhardwaj
CMD of NID

स्वामी विवेकानन्द ने कहा है कि दुनिया में तीन तरह के लोग होते हैं -

1. ये वो लोग हैं जो समय के साथ खुद को नहीं बदलते और पिछड़ जाते हैं।
2. ये वो लोग हैं जो समय के साथ खुद को बदल लेते हैं और आगे बढ़ जाते हैं।
3. ये वो लोग हैं जो समय के अनुसार नहीं बदलते बल्कि समय को ही अपने अनुसार बदल देते हैं और इन्हीं को युग पुरुष कहा जाता है जो सदियों में एक बार ही जन्म लेते हैं।

ओम भारद्वाज यह नाम है उस शख्स का जो समय के साथ नहीं बदले बल्कि उन्होंने समय को ही अपने अनुसार बदल दिया है। इन्हें मैडिसिन किंग कहा जाता है और करनाल में डाक्टर साहब के नाम से मशहूर हैं, जो अपने परिश्रम और धैर्य की वजह से आयुर्वेदिक दवाईयों के किंग बने हैं। मां भगवती के उपासक ओम भारद्वाज ने अपनी सफलता की कहानी खुद लिखी है। इन्होंने बस में सिर दर्द की गोलियां बेचने से अपना कारोबार शुरू किया था, लेकिन आज करनाल ही नहीं बल्कि पूरे उत्तर भारत में यह सबसे बड़े आयुर्वेदिक दवाईयों के निर्माता हैं। छह सालों तक बस में गोलियां बेचते समय लगातार मेहनत करने वाले शख्स ओम भारद्वाज अपनी सफलता की मिसाल स्वयं हैं। इन्होंने सिद्ध कर दिया कि जिस इंसान में लगन होती है वही कोयले को हीरे में बदलने का माद्दा रखते हैं।
2012 में करनाल के इंडस्ट्रीयल एरिया के सैक्टर 3 में पहली फैक्टरी लगाने के बाद लगातार सफलता की सीढिय़ां चढ़ते हुए आज इनकी सात फैक्ट्रीयां हैं, जहां न सिर्फ अच्छी गुणवत्ता वाली आयुर्वेदिक दवाईयों का निर्माण होता है बल्कि कई देशों में इनका निर्यात भी होता है। अपने पिता की मेहनत को सफलता के पंख लगाने का काम इनके सपुत्रों अनूप भारद्वाज और अवनीश भारद्वाज ने किया है। दोनों भाइयों ने मिल कर अपने पिता के सपनों को पूरा करते हुए आज दवा निर्माण के क्षेत्र में अपना वर्चस्व कायम किया है। बड़ा बेटा अनूप भारद्वाज आल हरियाणा ड्रग मैनुफैक्चरिंग एसोसिएशन का अध्यक्ष है, जहां 1200 से ज्यादा दवा निर्माता इसके मैंबर हैं। इनकी कंपनी नार्थ इंडिया लाइफ साइंसिका प्रा. लि. अपनी गुणवत्ता और अच्छी क्वालिटी के साथ सही कीमत के लिए मैडिसन इंडस्ट्री में अपनी अलग पहचान बना चुकी है।

Late. Sh. Bansi Lal Bhardwaj

(Father)

Late. Smt. Pushpa Wanti

(Mother)

माता-पिता – ओम भारद्वाज अपने पिता स्वर्गीय श्री बंसी लाल और माता स्वर्गीय श्रीमति पुष्पावंती के परिवार में सात बच्चों में सबसे बड़े बेटे हैं। इनका जन्म हरियाणा के सफीदों में 4 सितंबर 1948 को हुआ। वैद्य सोहन लाल इनके दादा थे, जो पाकिस्तान के कुंजा कस्बे, जिला लाहौर से 1947 में देश विभाजन के समय पहले अंबाला पहुंचे और फिर सफीदों आकर बस गए। इनकी दादी श्रीमति राम रक्खी स्कूल में अध्यापिका थी जो बंटवारे के बाद पहले कोटगढ़ में पढ़ाते थे, फिर 1952 में इनकी बदली कोटखाई में हो गई। इनके पिता बंसी लाल जी ने अपने समय में मैट्रिक पास की हुई थी। आजादी से पहले कुंजा कस्बे में इनका अच्छा परिवार था, लेकिन देश के बंटवारे ने सब कुछ खत्म कर दिया और फिर एक नई शुरुआत करनी पड़ी। इनके पिता एक धेली (पच्चास पैसे) जेब में लेकर सफीदों पहुंचे थे। जिंदगी को फिर से पटरी पर लाने के लिए बाकी सभी की तरह इन्होंने भी नए सिरे से मेहनत की। कई तरह के काम किए। पहले रेलगाड़ी में समान बेचा, फिर 1957 में ढाबे का काम किया जो नहीं चला। 1958-59 में चंडीगढ़ जाकर मक्खन सप्लाई करने का काम किया। इसके बाद सफीदों में ही अपना काम किया और अपने बच्चों को सैटल किया।

परिवार

ओम भारद्वाज की शादी लुधियाना के श्री जीवन मल्ल और श्रीमति सुहागवंती की लाडली राज के साथ 22-11-1972 को हुई। मां भगवती ने घर में बेटे अनूप भारद्वाज, अवनीश भारद्वाज और बेटी नेहा भारद्वाज की किलकारियों से घर को भर दिया। बड़े बेटे अनूप भारद्वाज की शादी दिल्ली की रेनू के साथ हुई है और इनके दो बेटे रवील भारद्वाज और लोहिल भारद्वाज अपने दादा-दादी के दुलारे हैं। छोटे बेटे अवनीश भारद्वाज की शादी अमृतसर की रिशम के साथ हुई है और इनके भी दो बेटे आरयो भारद्वाज और अरीन भारद्वाज परिवार के दो लाडले हैं। बेटी नेहा की शादी जालन्धर के रहने वाले डाक्टर अर्शदीप सिंह के साथ हुई है जो पंजाब में कश्यप समाज से पहले सर्जन हैं। इनके घर में एक बेटी और एक बेटा परिवार की रौनक हैं। डा. अर्शदीप सिंह इस समय करनाल में अपने अस्पताल में लोगों की सेवा कर रहे हैं।

Sh. Anup Bhardwaj (Son)

Managing Director
North India Life Sciences Pvt. Ltd

Sh. Avnish Bhardwaj (Son)

Managing Director
North India Life Sciences Pvt. Ltd

शिक्षा

शुरुआती शिक्षा सफीदों के सरकारी स्कूल में हुई। फिर जब इनकी दादी की नौकरी कोटखाई में लगी तो यह भी अपने दादा-दादी के साथ वहीं चले गए और अपनी प्राइमरी की पढ़ाई वहीं की। इसके बाद वापस आकर दसवीं असंध से पास की। यह तो थी तो इनकी किताबी शिक्षा लेकिन असली शिक्षा तो इन्होंने अपने अनुभव से हासिल की। दसवीं की परीक्षा के दौरान ही इन्होंने शिमला से भारतीय नौसेना में भर्ती होने के लिए अप्लाई किया लेकिन ट्रेनिंग के दौरान ही छोड़ दिया।

बिजनेस

ओम भारद्वाज ने छोटी उम्र में ही काम करना शुरु कर दिया था। इन्होंने बताया कि सबसे पहले इन्होंने चंडीगढ़ में मक्खन सप्लाई करने का काम किया था, लेकिन असली मेहनत 1966 में शुरु हुई। उस समय इन्होंने तीन रुपए का एक बैग उधार लेकर 13.75/- की दवाई खरीदी और बस में जाकर सिर्फ घंटे में 25/- रुपए में सारी दवाई बेच दी और 11.25/- कमाए। यहीं से इन्होंने दवाइयों के क्षेत्र में कदम रखा। दवाइयां खरीद कर उन्हें बसों में बेचकर इन्होंने पैसे कमाने की शुरुआत की। इसी दौरान इनकी मुलाकात श्री वेद राज बांसल से हुई जिनके साथ मिलकर इन्होंने बिजनेस शुरू किया। 1985 में नकोदर की धीमान इंडस्ट्री से मशीनरी खरीद कर अपनी गोलियां बनानी शुरु की, लेकिन काम नहीं चला और बिजनेस में नुक्सान उठाना पड़ा। वेद राज बांसल ने इनको अपना छोटा भाई माना और बिजनेस के सारे गुर सिखाए। दोबारा इन्होंने फिर से फैक्टरी लगाई जिसमें दवाई बनाने का काम वेद राज बांसल और मार्केटिंग की जिम्मेवारी ओम भारद्वाज ने संभाली। इन्होंने हरियाणा से शुरू करके देश भर में अपना डिस्ट्रीब्यूशन नैटवर्क बनाया। जल्दी ही इनके दोनों बेटे भी इनके साथ जुड़ गए और उन्होंने हर शहर में अपना नैटवर्क बनाया।
2012 में इन्होंने अपनी खुद की फैक्टरी इंडस्ट्री एरिया, सैक्टर -3 करनाल मेंं लगाई और अपना ब्रांड निड शुरु किया जो आज देश्-विदेश में एक जाना माना नाम है। इसके बाद लगातार सफलता की नई ऊंचाइयों को छूते हुए नई फैक्टरीयां लगाते रहे। 2018 में इन्होंने वल्र्ड हैल्थ ऑर्गेनाइकोशन के मापदंडों के अनुसार एक नई फैक्टरी लगाई की जिसमें सिर्फ एक्सपोर्ट क्वालिटी की दवाईयां बन रही हैं।

मां भगवती के उपासक

ओम भारद्वाज जी मां भगवती वैष्णो देवी के उपासक हैं। इनको दुर्गा स्तुति का पूरा पाठ कंठस्थ याद है। प्रतिदिन सुबह स्नान करने के बाद मां भगवती की पूजा करना इनका नित्यक्रम है। नवरात्रि के दिनों में यह विशेष पूजा करते हैं। 2015 में इन्होंने करनाल में लगातार सात दिन तक चंडी महायज्ञ करवाया था, जिसमें प्रतिदिन सैंकड़ों पंडितों ने अनुष्ठान किया और पूरे परिवार ने उनकी सेवा की। सैंकड़ों लोगों ने इस महायज्ञ का प्रसाद लंगर के रूप में ग्रहण किया। परिवार ने पंडितों को बहुत ही इज्जत के साथ दान दक्षिणा देकर विदाई दी। मां वैष्णो देवी के दरबार में अक्सर इनकी हाजरी लगती रहती है। मां भगवती की इनके परिवार पर असीम कृपा है, जिनके आशीर्वाद से आज ओम भारद्वाज जी सफलता के उस मुकाम पर खड़े हैं, जहां वह हजारों लोगों की मदद कर रहे हैं। इनकी फैक्ट्रीयों में हजारों लोगों को काम मिला हुआ है, पूरे देश में डिस्ट्रीब्यूटर्स का नेटवर्क है जिससे लाखों लोगों का घर चल रहा है।
हरिद्वार में होने वाली गंगा माता की आरती में यह कई बार मुख्य यजमान बन चुके हैं। चार धाम की यात्रा इन्होंने की हुई है। भगवान शिव के 12 ज्योतिलिंग के दर्शन इन्होंने अपनी अर्धांगनी श्रीमति राज भारद्वाज के साथ किए हुए हैं। भारत के सभी मुख्य तीर्थ स्थानों इन्होंने दर्शन कर लिए हैं।

धार्मिक इन्सान

ओम भारद्वाज जी के बारे में बताया कि वह मां भगवती के उपासक हैं, लेकिन इसके साथ ही वह बहुत ही धार्मिक विचारों के इन्सान हैं। वर्ष 2009 में एक रात सोते समय इनको सपने में भगवान शंकर ने आवाज दी और एक मंदिर बनाने के लिए कहा। सुबह इन्होंने अपनी धर्मपत्नी के साथ इस बारे में विचार किया। दोनों ने मिलकर उसी समय मंदिर बनवाने का का फैसला कर लिया। उत्तर प्रदेश के गांव बथूई अक्का, ब्लॉक नागोई, तहसील तिल्लर, जिला शाहजहांपुर में इन्होंने भगवान शिव का मंदिर बनवाया। अपनी जीवनसाथी के साथ ओम भारद्वाज जी वहां 7 दिन तक रहे और मंदिर बनवाने की सेवा की। यह बात विशेष ध्यान देने वाली है कि इस गांव में कोई बिजली नहीं थी, जहां पर वह अपनी पत्नी के साथ 7 दिन तक रहे और इन्होंने अपने हाथों से 5 ब्राह्मणों की सेवा की। मन्दिर का काम पूरा करवा के ही यह वहां से वापिस आए। अपनी कुल देवता के दरबार में माथा टेकने और उनके दर्शन करने यह हर साल जाते हैं। इनके कुल देवता का मंदिर गांव परगवाल, जिला अखनूर, जम्मू-कश्मीर में है। हर साल होली से पहले बुधवार को इनके कुल देवता की मेल लगती है जहां यह अपने परिवार के साथ कुल देवता का आशीर्वाद लेने के लिए जाते हैं। इन्होंने ऐसे अनेकों धार्मिक काम किए हैं जिनका वर्णन नहीं किया जा सकता। शिवपुरी करनाल में इन्होंने बहुत सेवा के काम करवाए हैं और कई धार्मिक संस्थाओं को इनका सहयोग चल रहा है।

समाज सेवा

धार्मिक आस्था के साथ साथ ओम भारद्वाज जी एक बहुत ही समाजिक व्यक्ति हैं, जिनका सहयोग कई धार्मिक और समाजिक संस्थाओं को मिल रहा है। समाज सेवा के बहुत से काम इन्होंने किए हुए हैं। कश्यप क्रांति पत्रिका की ओर से करवाए जाने वाले परिवार सम्मेलनों में यह तीन बार मुख्य मेहमान बने हैं और कई बार सम्मेलन की अध्यक्षता की है। वर्ष 2021 में देवी नगर, अंबाला शहर के 46वें वार्षिक मेले में यह और उनके बड़े सपुत्र अनूप भारद्वाज जी मुख्य मेहमान थे। यहां होने वाले जागरण का उद्घाटन इन्होंने किया। इनके बड़े सपुत्र अनूप भारद्वाज भी अपने पिता के पदचिन्हों पर चलते हुए समाज सेवा के कामों में बढ़-चढ़ कर भाग लेते हैं। वह 2020 के रोटरी कल्ब करनाल के प्रधान रह चुके हैं। इस समय वह रोटरी कल्ब के एक्टिव सदस्य हैं। इसके अलावा वह आल हरियाणा ड्रगस मैनुफैक्चरिंग एसोसिएशन के अध्यक्ष हैं जिसके 1200 के करीब मैंबर हैं। समाजिक और धार्मिक कार्यों में सहयोग करने के लिए यह परिवार हमेशा अग्रणी रहा है।

ओम भारद्वाज के नेतृत्व में देवी नगर में की गई फमटी वंश के मंदिर की स्थापना

हवन यज्ञ करते हुए फमटी परिवार

कुल देवी का आशीर्वाद लेते हुए ओम भारद्वाज का परिवार

अम्बाला, 25-11-2021 (नरेन्द्र कश्यप) – देवी नगर प्रांगण में फमटी वंश के मंदिर की स्थापना विधिवत ढंग से नाथ और चेलों ने करनाल के नार्थ इंडिया लाइफ सांइसिका प्रा. लि. के मैनेजिंग डायरैक्टर माननीय ओम भारद्वाज के नेतृत्व में की गई। इस शुभ अवसर पर फमटी परिवारों की ओर से हवन यज्ञ करके कुल देवी का आशीर्वाद लिया गया। सभी फमटी परिवारों ने मिल कर हवन यज्ञ में आहुतियां देकर मंगल कामना की। दूसरी तरफ विशेष तौर पर जम्मू से आए फमटी वंश के नाथ शेठी लाल योगी और चेला बोध राज ने पूजा अर्चना करके यहां पर फमटी वंश के मंदिर की स्थापना की। इस अवसर पर फमटी परिवारों की ओर से ओम भारद्वाज ने लुधियाना के हंस राज को इस मंदिर की सेवा संभाल का काम संभालते हुए उन्हें यहां का प्रधान नियुक्त किया। हंस राज ने कहा कि फमटी वंश की ओर से उन्हें जो सेवा दी गई है वह पूरी ईमानदारी और निष्ठा से उसे पूरा करेंगे। ओम भारद्वाज ने चेला, नाथ, प्रधान और मंदिर की सेवा करने वाली देवा जी को शाल देकर सम्मानित किया।

फमटी वंश का मंदिर जम्मू-कश्मीर के परगवाल गांव और झिड़ी में बना हुआ है। ज्यादा दूरी होने के कारण बहुत संगत वहां नहीं जा सकती थी। अब अंबाला में कुल देवी का मंदिर बनने से वह यहां माथा टेक कर अपनी कुल देवी का आशीर्वाद ले सकते हैं।

इस अवसर पर फमटी वंश के परिवार राजपुरा, लुधियाना, सफीदों, करनाल और अंबाला से शामिल हुए। यहां पर करनाल से ओम भारद्वाज अपनी धर्मपत्नी श्रीमति राज भारद्वाज, बेटे अनूप भारद्वाज, अवनीश भारद्वाज और बहु श्रीमति रिषम भारद्वाज, दीपक भारद्वाज परिवार सहित, सफीदों से भूपिन्द्र पाल, छत्तर पाल, दीपक कुमार, राज कुमार, चन्न प्रकास, श्रीमति कविता, कश्यप राजपूत पंजाबी वैल्फेयर सोसायटी के प्रधान सुरिन्द्र भगोत्रा, सोम प्रकाश, एडवोकेट अनिल सहोत्रा, यमुनानगर और मुबारिकपुर से समाज के साथी शामिल हुए। इसके बाद सभी ने बहुत प्यार से लंगर का प्रशाद ग्रहण किया जिसका प्रबंध ओम भारद्वाज के परिवार की ओर से किया गया था।